Maa Shayari
होता था जब बीमार मैं माँ पास में आकर बैठती थी
लगती थी जब चोट मुझे तो वो प्यार से मुझे डांटती थी
लगता था पहले बुरा मुझे,अब महसूस तुम्हें सिर्फ करता हूँ
लड़ता था पहले तुमसे मैं,अब याद तुम्हे सिर्फ करता हूँ
सबसे बड़ा जादू तो माँ की हाथो में है किस्तम
सवारने का चाहे वो हाथ सर पर फिरे या गालो पर
Maa Shayari
कर्ज माँ का कोई चूका नहीं सकता
भगवन का दर्जा माँ से बड़ा हो नहीं सकता
ख़त्म हो जायेगा ये संसार सभी
माँ ना होती तो ये संसार नहीं बसता
बड़ा अजीब सा जादू है माँ की पैरो में
जितना ही झुकता हूँ, उतना ऊपर उठता हूँ
Maa Shayari
हर गुनाहों को जो मेरे माफ़ कर देती है
माँ अगर गुस्से में हो तो रो देती है
उसके होंठो पे कभी बदुआ नहीं होती
माँ ही तो है एक जो कभी खफा नहीं होती
जो छोड़ जाता है अपने माँ के आँचल का दामन
तो जिंदगी उसकी वीरान हो जाती है
Maa Shayari
माँ अगर पढ़ी लिखी नहीं है
पर सब जानती है क्या गलत और सही है
दुनिया में दुर्लभ और महत्वपूर्ण ज्ञान
जो हमे प्राप्त होता है वो माँ से ही है
ना देखा बस सुना की जन्नत क्या होती है
लेकिन माँ के कदमो से बढ़कर कोई जन्नत नहीं होती है
Maa Shayari
कौन सी चीज है ऐसी जो यहाँ नहीं मिलती
मिल जाता है सब कुछ यहाँ पर माँ नहीं मिलती
खुश रखो उनको, जो जिंदगी में कभी नहीं मिलते
उसके बाद देखो जन्नत कहाँ नहीं मिलती है
जो अपनी नींद खोके अपने बच्चों सुलाती है
माँ तो आखिर माँ होती है जो खुद भूखे पेट सो जाती है
मगर अपने बच्चों को भर पेट खिलाती है
Maa Shayari
जब - जब तुम रोते थे रात भर
आँचल में लेके लोरी सुनाती थी रात भर
अब माँ रोती है रत - रत भर
अब बीबी के साथ सोते हो खुश होकर
हम Anytime किसी को भी मुर्ख बना सकते है
But माँ कभी हो ही नहीं सकता
Maa Shayari
जब देखु तस्वीर तुम्हारी चेहरा आपका नजर आता है
हर लम्हा हर मिनट मुझे आपकी कमी सताता है
हर रास्ता हर मोड़ पड़ आपका एहसास दिलाता है
माँ तुम्हारा वो प्यार वो दुलार मुझे बहुत याद आता है
कितना भी थका क्यों न रहूँ लेकिन बड़ा सुकूं मिलता है
माँ! तेरे आँचल में वक्त भी ठहर जाता है
Maa Shayari
रो हँसकर सब कुछ करती दुःख कभी न जताती है
रात भर जागकर अपने आँचल में हमें सुलाती है
अपना निवाला हमें खिलाकर खुद पानी पी सो जाती है
बिस्तर पर सुलाके हमें खुद जमीं पे सो जाती है
जो सबसे अच्छा उपहार मुझे ईश्वर ने दिया है
मै उसे अपनी माँ कहता हूँ
Maa Shayari
बिगड़ ना जाए बेटा ऐसा सोचकर माँ खुद को रुला रही है
आगे अँधेरा है कहीं डर ना जाए, माँ खुद को जला रही है
खेलते - खेलते जब शाम हो जाती है तब माँ कहती है
शाम हो गयी है आ जाओ पास माँ तुम्हे बुला रही है
क्या मंदिर, क्या मस्जिद, क्या गंगा की धार है
वो घर ही मंदिर है, जिसमे माँ - बाप का सत्कार है
1 Comments
Wonderful 🔥 article YOU ARW MAKEING THAT ORTHER CAN'T MAKE IT
ReplyDeleteFamily status
job rojgar